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नारी विमर्श >> मन मांझने की जरूरत

मन मांझने की जरूरत

अनामिका

प्रकाशक : सामयिक प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10742
आईएसबीएन :9788171381128

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सीता को मूक आज्ञाकारिता के कठघरे में जकड़ने वाले यह क्यों भूल जाते हैं कि सीमा का सबसे बड़ा सच है लक्ष्मण-रेखा लांघ जाना ?…सावित्री ने ठेठ अर्थ में ‘परपुरुष’ यमराज से (घूंघट करने की जगह) बहस की, उन्हें हराया और फिर अभप्सित प्राप्त करके ही मानी…सती ने सबसे पहली बगावत तो पिता से की, फिर उस पूरी संभ्रांतवादी व्यवस्था से जो अविकसित जातियों-जनजातियों को भूत-पिशाचादि से एकाकार करके देखती रही है और किसी सामाजिक समारोह (यज्ञादि) में उसे बराबरी का दर्जा नहीं देती…आदि इत्यादि…

अनामिका की यह पुस्तक मिथकीय आख्यानों की सुप्रतिष्ठित नारियों की अनूठी व्याख्या ही नहीं प्रस्तुत करती, बल्कि पुरातन-मध्ययुगीन-अधुनातन स्त्री के विविध संदर्भों की विलक्षण छानबीन करती हुई स्त्री-विमर्श का एक नया ही सोपान चढ़ती है। पाश्चात्य एवं प्राच्य साहित्य-संदर्भों के बीच पितृसत्ताक (पुरुष-प्रधान) समाज के लिए “मन मांझने की जरूरत” का बड़ी शिद्‌दत से अहसास भी कराती है।

क्या ऐसा होगा ? होगा जरूर, क्योंकि आज की नारी यह चुनौती स्वीकार करके कटिबद्ध हो गई है।

अनुक्रम

  • मन मांझने की जरूरत
  • समन्वित नारीवाद और भारतीय देवियां
  • खंडिता : एक नन्‍हीं नाटिका
  • देह-व्यापार का लाइसेंस
  • इधर के उपन्यासों में देह-विमर्श
  • नए भाषिक सिद्धांत और स्त्री
  • पोस्ट फेमिनिज्म : की पोस्ट कर दी कुड़ी
  • इंग्लैंड की थेरीगाधाएं
  • औरत की अस्मिता के किस्से
  • क्या कर रही हैं ये औरतें !
  • पितृ-पक्ष और रस्मी महिला-दिवस
  • प्रतिरोध की सीढ़ियाँ
  • कटोरे पे कटोरा
  • संबंधों की समरनीति
  • “अरेबियन नाइट्स” बनाम “यांकी डूडल्स’’
  • अंतःप्रज्ञा का ऐंद्रिक विस्तार
  • कथाओं में शरण लेती व्यथाएं
  • बहनापा कविता-कहानी का
  • अफ्रीकी स्त्री-कविता
  • प्यारी सासु मां के लिए
  • राजा, तुम भूले थे
  • राबिया फकीर और सूफी गायकी
  • रूसी औरतें : अन्नाओं को अन्न के लाले
  • “गुलामी” और ‘मुबारक’ का आंका-बांका-सा रिश्ता
  • नरगिसों और ‘दीदावरों’ का द्वंद्व-न्याय
  • समकालीन भारतीय स्त्री : बतकही-बतरस-बयान
  • बलात्‌ का पशुबल और विश्वास का संकट
  • घरेलू हिंसा : चल उड़ जा रे पंछी
  • कविता का कहानीपन
  • पारंपरिक चौखटों में सेक्स और यौन हिंसा
  • हादसे : हद्द चलै सो मानवा
  • नैतिकता का ठीका
  • क्या है अश्लीलता ?

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